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रोकना होगा मोदी के रथ को

Bimal Raturi
Bimal Raturi
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narendra_modi_indain_tabela
सब कह रहे हैं मोदी को लाओ,मोदी को लाओ शायद ठीक भी हो भविष्य किस ने देखा??? पर पुराने अनुभवों के हिसाब से कहूँगा कि मोदी के रथ को रोकना होगा,हाँ मनमोहन सिंह एक रब्बर स्टैम्प साबित हुए और साबित होते रहेंगे,पर मोदी निरंकुसता का प्रतीक हैं,गुजरात दुनिया में चमक रहा है,पर आप कभी भी किसी गुजराती के मुह से मोदी गान नहीं सुनेंगे|

सड़के चमक रही है,पानी खूब आ रहा है,खाना भी छक छक के बंट रहा है,पर क्या आप सब ने इन सब के बीच गोधरा कि आग को भुला दिया??? भुला दिया उस नरसंहार को??? भुला दिया उन दंगों को???पर ये सब उन लोगों के लिए भूलना आसन नहीं होगा जो इस से गुजरे हैंमै मोदी के रथ के खिलाफ इस लिए भी हूँ कि अभी हम ने ताजा ताजा कुछ निरंकुसता के उदाहरण देखें है

मायावती- दलित समाज कि थी लोक लुभावने वादों के साथ सत्ता मै आई,और फिर वो किया जो उस का मन किया | महल बनाये,पार्क बनाये,अपनी मूर्तियाँ बनाई क्या था ये ??? निरंकुसता का जीता जगता उदाहरण   लालू प्रसाद यादव – इतने साल बिहार में एक छत्र राज किया,क्या दिया??? गुंडा राज,दारू,गरीबी,अंधियारा, मुझे तो नहीं लगता इस के अलावा कोई और इमेज थी बिहार में किसी के मन में…  ममता दीदी का उद्धम भी आप सब कि आखों से अछुता नहीं है मुलायम भी जब जब निरंकुश रहे तो राज नहीं गुंडाराज दिया,ऐसा ही बंगाल में बामपंथियों के साथ रहा और तमाम उन लोगों के साथ रहा जो संपूर्ण सत्ता में आये।

हाँ सोनिया ने भी कांग्रेस में तानाशाही से ज्यादा कुछ नहीं दिखाया,चाहे तब मनमोहन की नियुक्ति हो,चाहे प्रणव पर मैडम की जिद्द,चाहे अचानक राष्ट्रपति बनी प्रतिभा ताई हो ये तो हुई रास्ट्रीय राजनीति की बात,इस के अलावा राज्यों में मैडम की बातों का कितना जलवा है सभी को पता है

पर क्या उसे रोकने के लिए हमे एक और तानाशाह चाहिए??

हाँ सोनिया ने भी कांग्रेस में तानाशाही से ज्यादा कुछ नहीं दिखाया,चाहे तब मनमोहन की नियुक्ति हो,चाहे प्रणव पर मैडम की जिद्द,चाहे अचानक राष्ट्रपति बनी प्रतिभा ताई हो ये तो हुई रास्ट्रीय राजनीति की बात,इस के अलावा राज्यों में मैडम की बातों का कितना जलवा है सभी को पता है
पर क्या उसे रोकने के लिए हमे एक और तानाशाह चाहिए??

GODHRA-kand_indain_tabela

अब हम मोदी की  बात करें, कभी किसी की नहीं सुनी,अड़ियल रवैय्या रहा हमेसा,अहम् हमेशा हावी रहा,कभी तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भी नहीं सुनी,न भा.जा.पा. मुख्यालय कि सुनी और न ही किसी भी व्यक्ति की, संजय जोशी प्रकरण तो ताजा ताजा याद होगा ही सभी को….फिर क्या आप को लगता है ऐसे निरंकुश के हाथ में सत्ता होनी चाहिए??? फिर क्या फर्क रह जायेगा तानाशाही और लोकतंत्र में? हमेशा मोदी ने तानाशाही ही दर्शाई है…दूरदर्शी तो मोदी हैं ही क्या पता गुजरात का विकास भी भारत की चाभी पाने की कड़ी का हिस्सा न हो।एक आदमी जो इतने बड़े नर संहार का दोषी हो उसे कैसे सत्ता की चाभी पकड़ा दे ??? ये अलग बात है की भा.जा.पा. में कोई देश चलाने लायक नेता ही नहीं बचा पर क्या इस का मतलब ये है की हम एक तानाशाह को चुन ले???

अब आप खुद विचार कर लें की तानाशाह पैदा करना है या प्रधानमंत्री???

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