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धूमिल उम्मीदें शहर बसाने की …

Bimal Raturi
Bimal Raturi
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flood-uttarakhand

ज़िन्दगी
कीमत क्या है तेरी?
वजन क्या है तुझे में?
कैसे तुझ पे बिस्वास करूँ
चंद घंटों की बारिश और सब कुछ तबाह…
सारे घर तबाह… सारे आशियाने तबाह
किसी की माँ गायब है तो किसी के पिता
किसी के बच्चे की खबर नहीं
किसी के सुहाग का कुछ न पता
सरकारी पैसा…..
हा हा हा….
साले सरकारी भडवे…
इस तबाही के वक़्त भी अपना हिस्सा मांगते हैं
सड़के,मकान जमीन,खेत खलिहान
सब गायब हैं
सब कुछ बह गये….
मुझे नहीं पता कब दुबारा फिर शहर बसेगा
मुझे नहीं पता फिर कब इस चमन में फूल खिलेगा
मुझे तो हंसी आती है
कैसे दम्म भरते हैं इस ज़िन्दगी का हम
कैसे गुमान करते हैं इस ज़िन्दगी पे हम
पर एक झटके में सब गायब
बची है तो आज भी कुछ जिंदगियां
और फिर से नया शहर बसने की कुछ धूमिल उम्मीदें ….

ज़िन्दगी

कीमत क्या है तेरी?

वजन क्या है तुझे में?

कैसे तुझ पे बिस्वास करूँ

चंद घंटों की बारिश और सब कुछ तबाह…

सारे घर तबाह… सारे आशियाने तबाह

किसी की माँ गायब है तो किसी के पिता

किसी के बच्चे की खबर नहीं

किसी के सुहाग का कुछ न पता

सरकारी पैसा…..

हा हा हा….

साले सरकारी भडवे…

इस तबाही के वक़्त भी अपना हिस्सा मांगते हैं

सड़के,मकान जमीन,खेत खलिहान

सब गायब हैं

सब कुछ बह गये….

मुझे नहीं पता कब दुबारा फिर शहर बसेगा

मुझे नहीं पता फिर कब इस चमन में फूल खिलेगा

मुझे तो हंसी आती है

कैसे दम्म भरते हैं इस ज़िन्दगी का हम

कैसे गुमान करते हैं इस ज़िन्दगी पे हम

पर एक झटके में सब गायब

बची है तो आज भी कुछ जिंदगियां

और फिर से नया शहर बसने की कुछ धूमिल उम्मीदें ….

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