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मेरे साफ़ कमरे की कहानी

Bimal Raturi
Bimal Raturi
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कम्बल के ऊपर गिरा नेल कटर,

खिड़की की दीवारों पर चिपके खीरे के बीज,

परदे की राड पे लटके टूटे हुक,

खिड़की पर चिपकी दो चिट,

जिस में एक पर किसी के जाने की खबर,

और एक पर किसी के आने का संदेशा,

जमीन पर गिरा स्टेप्लर,

दिवार पर टेढ़ी तंगी तस्बीर,

आईने पे चढ़ी धूल की परत,

अधखुली किताबों की अलमारी,

फर्श पर पड़े स्याही के गहरे निशान,

किताबों के ढेर पर रखे चाय के पुराने कपों की मुस्कान,

दूसरे बिस्तर में पड़े मोबाईल चार्जरों का जाल,

टेबल में पड़ी लैपटाप,पेन और कई डाईरियां,

सामने दीवाल में रखी सरस्वती की मूर्ति,

चौतरफा लटकते मकड़ी के आशियाने,

ढूंढती हैं पवन कमरे में आने के बहाने,

आलमारी के ऊपर रखी अधखुली इत्र की शीशी,

दीवाल में लगी पुरानी फोटो याद दिलाती है किसी की,

बिस्तर में रखे धुले कुर्ते की नीची लुढ़की बाजू

फर्श पर लुढ़की इंडिया टुडे के आवरण में छपा कानून का तराजू,

कलमदान में वर्षों से पड़े कई बंद पेन,

इन सब के बीच मेरा सोचता अस्थिर चंचल मन,

ये है मेरे साफ़ कमरे की कहानी,

सिर्फ और सिर्फ मेरी जुबानी ||

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